दौरे-शुकूँ फिर से आज दिल जला गया

दौरे-शुकूँ फिर से आज दिल जला गया
मेरा पता पूछ कर कहीं और चला गया
आंखों का अश्कों का न दिल का कसूर था
ख़त में लिखा था जो वो ही पढ़ा गया
खुद्दार शख़्स है वो अपनी जमात का
लोगों में न जाने उसे क्या क्या कहा गया
तुम देर से आये हो तन्हा हो इसलिए
इस दर से हसरतों का मेला चला गया।