कोई गज़ल गा दीजिए देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' दर्द से दर्द की दवा कीजियेहम है बैठे ग़जल कोई गा दीजिये।एक नन्हा दिया जल रहा है कहींसाथ जलकर उसे हौसला दीजिये।फासलों ने दिए जख्म है,दर्द हैंदर्द में फासलों को मिटा दीजिये।तजुर्बा बड़े काम की चीज हैक्या मिला जिंदगी से बता दीजिये।जिसकी मेहनत का हासिल है ये आसमाँउसको घर से न अपने जुदा कीजिये।