ऐसे भी गवाह देखे

देखने वालों ने यूं कई जहां-पनाह देखे
मगर एक मां गरीब बेटे में शहंशाह देखे।

नेक लोगों ने मेरी नेकियों के चर्चे किए
जो गुनहगार थे, उन्होने ने मेरे गुनाह देखे।

सभी ने कांपते लबों का तबस्सुम देखा
कोई ऐसा न मिला जो दिलों की आह देखे।

तेरे सजदों में तड़प किसलिए है क्या मालूम
या दुनिया के या रब के लिए, अल्लाह देखे।

कभी ये दिल मेरा अजीब सी ज़िद करता है
कि, कोई इंतज़ार करे मेरा कोई राह देखे।

नियत हो बा-वजू इसकी किसी को फिक्र नहीं
कोई कुल्लियाँ गिने, कोई सर का मसाह देखे।

जान दे दी मगर ईमान न दिया ‘शहरयार’
हम ने अदालतों में ऐसे भी गवाह देखे।