बेटियाँ सुशीला गुप्ता 'गजपुरी' खुलकर उड़ने दोसपनों से जुडने दोसरहद की हैं,चोटियाँये बेटियाँ,ये बेटियाँ।घर आँगन की लक्ष्मीदेश की ये सरजमींदूर हटाये मुश्किलभूख को दें गर्म रोटियाँये बेटियाँ,ये बेटियाँ।इनको ना मारोइनकी कश्ती ना ऊजारोदूर हटायेँ हर बाधाबनकर किशन की राधाउच्च है, इनकी कोटियाँये बेटियाँ,ये बेटियाँ।दे दो इतनी शिक्षापास कर सकें हर परीक्षाकरो ना इनको तंगतुम दो इनका संगकरो ना इनकी बोटियाँये बेटियाँ,ये बेटियाँ।खुद पर तुम गर्व करोइन्हें सर्व कहोसबसे यह बात कहोउच्च है इनकी श्रेणियाँफिर कहो,हमारी बेटियाँ,हमारी बेटियाँ।