बेटियाँ

खुलकर उड़ने दो
सपनों से जुडने दो
सरहद की हैं,चोटियाँ
ये बेटियाँ,ये बेटियाँ।

घर आँगन की लक्ष्मी
देश की ये सरजमीं
दूर हटाये मुश्किल
भूख को दें गर्म रोटियाँ
ये बेटियाँ,ये बेटियाँ।

इनको ना मारो
इनकी कश्ती ना ऊजारो
दूर हटायेँ हर बाधा
बनकर किशन की राधा
उच्च है, इनकी कोटियाँ
ये बेटियाँ,ये बेटियाँ।

दे दो इतनी शिक्षा
पास कर सकें हर परीक्षा
करो ना इनको तंग
तुम दो इनका संग
करो ना इनकी बोटियाँ
ये बेटियाँ,ये बेटियाँ।

खुद पर तुम गर्व करो
इन्हें सर्व कहो
सबसे यह बात कहो
उच्च है इनकी श्रेणियाँ
फिर कहो,
हमारी बेटियाँ,हमारी बेटियाँ।