अमिताभ सुशीला गुप्ता 'गजपुरी' तू क्यों करता विलाप ?तेरा क्या हो गया विनाश ?तू क्यों है निराश ?तुझे करना है विकासतू उठ रे,उठ अमिताभ।मन मे जागकर रागलेकर हृदय अनुरागखोल बुद्धि विभागतू जाग रे जाग!तू उठ रे,उठ अमिताभ।अब छोड़ दे पश्चातापतेरा अनुपम है प्रतापतुझे करना नहीं विश्रामहानि मिले या लाभतुझे चलना है अमिताभ।ऐश्वर्य से होगा मिलापतू छोड़ दे विलापतुझे चूमेगा आकाशअभिषेक करेगा आभतू चलकर तो देख अमिताभ।जिसका मिटे ने प्रकाशजिसका रुके न विकासजिसका अनुपम है उल्लासतू कर यह आभासइसे कहते हैं,अमिताभ।