मेरा राम

मेरा राम बड़ा ही कष्ट मे है
रावण रूपी भ्रष्टाचार से
मेरे राम के दिल मे,
दर्द बड़ा है
राजा के अत्याचार से
मेरे राम के हृदय मे
पीड़ा बहुत है
भाइयों के दुर्व्यवहार से
मेरा राम रातों में,
रोता है
धर्म के व्यापार से
मेरा राम इक पल
ना सोता है
बहनों के हो रहे
बलात्कार से
मेरे राम के हृदय मे
चिंता बहुत है
इस निर्मम संसार मे
मेरा राम मारा जा रहा
अपनों के तलवार से
मेरा राम दर-बदर,
भटक रहा है
अपने ही संसार में
मेरा राम ठुकराया,
जा रहा है
अपने ही दरबार से।
न्याय की भीख मांग रहा
अपने ही अधिकार से।

मेरा राम निःहत्था
बनकर बैठा है
सुसज्जित तलवार से।
मेरा राम भक्ति से डोल
रहा है
धर्म के आधार से
किस पर करू वार ?
ये समझ ना पा रहा है
मायारूपी संसार मे
मेरे राम का हृदय
फट रहा है
इस अनोखे समाचार से ।
मेरा राम बड़ा ही कष्ट में है
रावण रूपी भ्रष्टाचार से।

उठो राम !
अब लड़ जाओ
अब ना मांगो,
अधिकार को
तू ही अकेला
जग मे सच्चा
खत्म करो अब,
इस भ्रष्टाचार को ।

खत्म करो अब,
इस भ्रष्टाचार को ।