वो भूख से मरी थी

कैसे बताएं वो भूख से मरी थी,
निगाहों ने एक आह सी भरी थी,
जैसे किसी से शिकायत सी करी थी,
धंसी आँखें, सूखे होठों की पपडियां,
चिपके पेट की ऐंठी अंतड़ियां,
भले लोगों को समझ ना आया होगा,
उस छोटे बच्चे ने हिला डूला कर दिखाया होगा,
पर भूख की मारी की नींद गहरी थी,
कैसे बताएं वो भूख से मरी थी ।

उसके चेहरे पर प्रश्न का एक भाव था,
प्रश्न में गिरती इंसानियत का घाव था ।
क्या हिन्दुस्तान अब हिन्द महादेश हो गया ?
दिल्ली, पंजाब, गुजरात अलग देश हो गया !
उसके चेहरे की भंगिमाएं बड़ी थी,
अपने देश के लोगों से कहीं दूर खड़ी थी ।
जिंदगी से उसकी जंग बड़ी थी ।
पर कैसे बताएं वो भूख से मरी थी ।

हाय विधाता यह कैसा तेरा विधान है?
देख पल भर में सारा शहर अन्जान है ।
दुध वाले विरजू भैया, वो काम वाली बाई,
सब्जी वाला सूरज, वो सैलून वाला नाई ।
महामारी की मार ने, सबको बेघर कर दिया ।
इसी भागम-भाग में वो खूब लड़ी थी ।
कैसे बताएं वो भूख से मरी थी ।
वो भूख से मरी थी ।