दुनिया सारी मीत हो पूनम यादव जिद है कि वफा में अब हमारी जीत हो,सबकी मैं, मेरी तो दुनिया सारी मीत हो।नफ़रते उभर सके नही किसी भी छोर पर,इस जहाँ में सबको सबसे प्रीत ही प्रीत हो।धुल जाए कड़वाहटें अब हमारे बोल के,गुजारिश है कि यहाँ हर लबों पर गीत हो।मिलने मिलाने का सबको गले लगाने का,हो मधुर संबंध और मधुरता हमारी रीत हो।खुशियाँ बिखेरे चमन में मौसमों के जोश ने,ये ग्रीष्म, शिशिर, बसंत चाहे ऋतुएं शीत हो।ये हसरतें दबने न पाये स्वाभिमानी लोगो के,विस्तार हौसलों का अब हर रगो में नित हो।आभा व ऊर्जा से भरें हो तन मन यहाँ,खिले- खिले चेहरे सभी के सुंदर चित्त हो।खुल के, हँस के, कस के जिये सब जिंदगी,यहाँ किसी को किसी से ना जरा भी भीत हो।