नियति ललित जैन उस भंवरे को भी क्या पता थाजो फूल पर मधु पीने को अड़ा था।क्या खबर थी उसेकि सूरज ढलने वाला हैनहीं मालूम था उसेकि वह फूल के अंदर ही फॅंसने वाला है।शाम हुई,फूल बन्द हो गयाभॅंवरा भी उसमें नजरबंद हो गया।उम्मीद की आसफिर भी न छोड़ीफूल खिलेगा सवेरेमन में आशा थी थोड़ी।गुजर रहा थाइक मतवाला हाथी उधर सेवो बन्द भॅंवरा वाला फूलतोड़ दिया झट से।मर गया भॅंवरा इसी उम्मीद के शोर मेंफूल खिलते ही आजाद हो जाऊंगा भोर में।क्या नियति को भी उस पर दया नहीं आईइक मधु के लालच में भॅंवरे ने जान गंवाई।