साँसो की गाड़ी
जीवन है एक शुभयात्रा
साँसे उसकी गाड़ी ।।
बचपन उसका पहला
गाँव मे पड़ाव,
नये रास्ते नये राहगीर मिलते जाते।
बातें करते हँसते गाते,
खुशी और लड़ाई की सरगम धुन
और गीत गाते जाते ।।
कभी रास्ते मे धक्का लगता
कभी राह मे उतार चढ़ाव,
आगे आता है
फिर यौवन का पड़ाव
जोश जोश में
सांसों की गाड़ी बढ़ती जाए
नये नये पड़ाव आते जाते
कभी रिश्ते बनते कभी टूट जाते।
कभी अजनबी भी,
अपना बन जाता
सफर-ए-जिंदगी में।
मैं अभी ठहरा
मंजिल के अंतिम पड़ाव के गांव
जहां अपना अभी सपना सा है।
जिंदगी की डोर मुरझा सी गई है
यादों की तस्वीरें धुंधला सी गई है।
अब गंतव्य तक पहुंच गई
सांसों की गाड़ी
चालक अब जरा थक सा गया है,
ईंधन उसका सूख गया है
ब्रेक उसके रूठ गए हैं
गति कुछ थम सी गई है
अब बागडोर
सांसों की इस गाड़ी की
प्रभु की और चली गयी ।
सांसों की गाड़ी
अब और कहीं खो गई ।।