मिली थी खुशियाँ दुःख के साथ
पंद्रह अगस्त की आधी रात,
मिली थी खुशियाँ दुःख के साथ ।
जाते-जाते अंग्रेज
भारत के टुकड़े कर गये,
हिंदू-मुस्लिम के मन में
नफरत का जहर भर गये,
हृदय पर पत्थर रख
हमने सहा था ये आघात ।
पंद्रह अगस्त की आधी रात
मिली थी खुशियाँ दुःख के साथ।
कल तक जो भाई-भाई थे,
आज बन बैठे कसाई थे,
हुआ था भीषण रक्तपात ।
पंद्रह अगस्त की आधी रात
मिली थी खुशियाँ दुःख के साथ ।
स्वाधीनता अर्जित की है
देश के अमर जवानों ने,
आजाद,भगत,बोस
और बापू के बलिदानों ने,
फिरंगियों ने दिया नहीं है
हमें कोई सौगात ।
पंद्रह अगस्त की आधी रात
मिली थी खुशियाँ दुःख के साथ ।
ये मिट्टी मेरी माँ है
इसका ना कोई मोल है,
आजादी की कीमत नहीं
आजादी अनमोल है,
यह केवल शब्द नहीं
दिल का है जज़्बात।
पंद्रह अगस्त की आधी रात
मिली थी खुशियाँ दुःख के साथ ।
संकट में अपना देश ही
काम आता है,
‘वंदे भारत मिशन’ हमें
अपने घर में लाता है,
राष्ट्रहित में जीना-मरना
गर्व की है बात।
पंद्रह अगस्त की आधी रात
मिली थी खुशियाँ दुःख के साथ ।