मेहंदी की महक,बिंदिया की चमक,पायल की झंकार, मांग में सिंदूर,आँखों में काजल,गले में मंगलहार। खिल उठता है यौवन तेरा जब करती सोलह श्रृंगार, तू ऐसे ही बैठी रहे मैं करता रहूँ दीदार।
एक-दूजे के जीवनसाथी जैसे गौरी-शंकर, तुम हो मेरी प्राणेश्वरी मैं हूँ तेरा सहचर। तीज का त्यौहार भादो का महीना है, वादा करता हूँ प्रिय तेरे संग ही जीना है।