तू आ भी जा
तू आ भी जा
बदल गई तस्वीर हमारी, बदल गई है फिज़ा
तू आ भी जा, तू आ भी जा।
इतने सालों में मैंने, कितने ज़ख्म सहे दिल पे
घाव दिया है दुश्मनों ने, बैठकर टाइगर हिल पे,
दिल के ज़ख्म हरे हैं अब तक, इन ज़ख्मों को सी जा।
तू आ भी जा, तू आ भी जा।
समझो जरा मैं क्या करती, मेरी भी मजबूरी थी,
साँसों में थे तुम ही हर पल, तुम बिन मैं अधूरी थी,
छोड़ भी दे नाराजगी, अब गुस्से को पी जा।
तू आ भी जा, तू आ भी जा।
एक तिरंगे के नीचे अब, हम तुम दोनों झूमेंगे
अब न कोई रोकेगा हमें, इस झंडे को चूमेंगे।
बदली है तक़दीर हमारी बदल गई है खिज़ा।
तू आ भी जा, तू आ भी जा।
चल जन्नत की सैर करें हम, बाहों में बाहें डाले
सच होगा हर सपना आओ, मिलकर सपनों को पाले
बुला रही हैं ये वादियाँ, ना पासपोर्ट ना वीज़ा।
तू आ भी जा, तू आ भी जा।
आज मेरा मन मस्त मगन है, बदले बदले नज़ारे पर
आ चल बैठे बातें करें हम, डल झील के शिकारे पर,
होंठों को होंठों से छूकर करे दें हम पाकीज़ा।
तू आ भी जा, तू आ भी जा।
बदल गई तस्वीर हमारी बदल गई है फिज़ा।
तू आ भी जा, तू आ भी जा।