कामयाबी

यूं ही नहीं बनता बीज पौधा
जमीं में खुद को दबाना पड़ता है
जमीं की गर्मी सहन करता है
खुद को फोड़कर कुर्बान करता है
हर दर्द सहन करता है।

यूं ही नहीं बनता सोना कुंदन
खुद को आग में जलाता है
आग की लपटें सहन करता है
हथोड़े की हर चोट सहता है
हर दर्द सहता है।

यूं ही नहीं मिलती कामयाबी
खुद को जलाना पड़ता है
मुश्किलों से लड़ना पड़ता है
जिंदगी दांव पर लगानी पड़ती है
हर खुशी कुर्बान करनी पड़ती है।