निभाना आ गया(गज़ल)

जब से अपना जख्म छिपाना आ गया
फिर हम को सब से निभाना आ गया। 

जिन्हें चाहते थे, उनका दीदार हुआ तो
बेसब्र बरसात में भी पसीना आ गया। 

जुर्म करने वाले जुर्म करते रहे शौक से
दौरे-सज़ा मजलूम पे निशाना आ गया। 

वो दिन-रात हक़ की पैरवी करता रहा
पर लोग कहते हैं इक दीवाना आ गया। 

कभी भूख का इलाज हुआ करती थी
अब रोटी से खेल का ज़माना आ गया। 

जब अपनी सेहत पे असर पड़ने लगा
तब हमें भी दुआ में हाथ उठाना आ गया।