बताने लगे हैं (नज़्म)

जब से आईने से नज़र मिलाने लगे हैं
अपनी ही बातों से वो उकताने लगे हैं ।

अपने भी घर में जब होने लगा हादसा
वाइज़ नफरत की दीवार गिराने लगे हैं ।

अकेलेपन से जब घिर गए हर ओर से
फिर अपने पराए सबको मनाने लगे हैं ।

मन्दिर मस्जिद से जब बात नहीं बनी
तब इन किताबों से धूल हटाने लगे हैं ।

सब दंगे-फसाद जब हो गए नाकाम
बात-चीत को समाधान बताने लगे हैं ।

समझे जब देश बना है हर आदमी से
तो हर इंसान को इंसान बताने लगे हैं ।