ईश्वर की कारीगरी
क्या सुंदर रचना तूने रची, वाह साहिब तेरी जादूगरी
मैं मान गया मेरे भगवन, ये अद्भुत तेरी कारीगरी।
नर देह पर बनाये तूने बाल
और खून का रंग बनाया लाल
नस नस है इसमे ऐसी पड़ी
जैसे पड़ें हो कई बिजली के तार।
क्या चीज बनाई तूने ये, है प्रियतम मेरे श्याम हरी
मैं मान गया मेरे भगवन, ये अद्भुत तेरी कारीगरी।
फूलों में भरे हैं अनेकों रंग
हरे पत्ते और लताओं संग
कोई लाल बने कोई नीले हैं
गुलाबी बने कोई पीले हैं।
ये घास बनाई तूने दाता ये, भूमि पर बिछी हो कोई दरी
मैं मान गया मेरे भगवन, ये अद्भुत तेरी कारीगरी।
आकाश में भरा है नीला रंग
दिखता है सफेद बादल के संग
सर्दी गर्मी बरसात रचे
और इंद्र धनुष के निराले रंग।
एक गरम है एक नरम, चंदा सूरज में खूबी भरी
मैं मान गया मेरे भगवन, ये अद्भुत तेरी कारीगरी।
तू कारीगर अजब निराला
तुझ जैसा न कोई होने वाला
हर चीज कहाँ रखनी तू जाने
भला बुरा सब खुद ही पहचाने।
धन्य है तू तेरी ये रचना, ‘धर्मवीर’तेरी जयघोष करी।
मैं मान गया मेरे भगवन, ये अद्भुत तेरी कारीगरी।