गुरु पूजा

जब से आए तुम जीवन में, बस यही मुझे अब सूझा है
संदेश शांति और सेवा, अब यही रतन गुरु पूजा है।

प्रतिदिन घंटे मिनट प्रतिक्षण
लगा रहा जीवन में पतझड़
घट में ढोल नगाड़ा बाजे
और शंखनाद भर गूंजा है।
जब से आए तुम जीवन में, बस यही मुझे अब सूझा है
संदेश शांति और सेवा,अब यही रतन गुरु पूजा है।

काम क्रोध मद लोभ अहम सब
भुजंग पांच मुझ पर लिपट रहे सब
ज्ञान बीज अनुभव बूटी से
अब विष से पीछा छूटा है।
जब से आए तुम जीवन में, बस यही मुझे अब सूझा है
संदेश शांति और सेवा,अब यही रतन गुरु पूजा है।

बंजर भूमि प्यासी धरती
बिन पानी के प्यास से मरती
ज्ञान का बीज प्रेम की बारिश
अब घट में अंकुर फूटा है।
जब से आए तुम जीवन में, बस यही मुझे अब सूझा है
संदेश शांति और सेवा,अब यही रतन गुरु पूजा है।