कैसा जमाना आया

कैसा आया रे जमाना भाई
यहाँ घोर अंधेरा छाया है
नीच कर्म में अंधी दुनिया
देखा नहीं अब जाया है।

पाप की नियत मन में रख कर
करता अच्छी अच्छी बातें
यारी करे वह यार घर जाकर
पर नारी को कुदृष्टि से ताके।
धन दौलत पर डाले ध्यान
मानवता का वह करे अपमान
कैसे कैसे हैं ये मन में विचार
ख्याल मन में बुरा आया है।

कैसा आया रे जमाना भाई
यहाँ घोर अंधेरा छाया है
नीच कर्म में अंधी दुनिया
देखा नहीं अब जाया है।

भाई भाई की गर्दन पर
देखो रखता है तलवार
पर पुरुष से करने लगी
यहाँ देखो तिरिया प्यार।
मर्यादा को भूल कर बैठी
यहाँ चाटे पाप की धूल
मात पिता को देकर धक्का
देखो घर से दूर भगाया है।

कैसा आया रे जमाना भाई
यहाँ घोर अंधेरा छाया है
नीच कर्म में अंधी दुनिया
देखा नहीं अब जाया है।

झूठ कपट छल धोखे से
यहाँ धन का लगाया ढेर
इस धन को ले जाकर पापी
कैसी कैसी करे कुसंगत सैर।
भगवा वस्त्र पहनकर साधु
बनकर यहाँ लोगों को ठगते
हंस का रूप बनाकर बगले
सीधे सज्जन भोले लगते।
ऐसे खोटे खोटे कर्मों को देख
यहाँ मन मेरा घबराया है।

कैसा आया रे जमाना भाई
यहाँ घोर अंधेरा छाया है
नीच कर्म में अंधी दुनिया
देखा नहीं अब जाया है।