बन जा गुरु दीवाना
डूब ले भक्ति रस में धर्मवीर
बन जा गुरु दीवाना रे
चार दिनों का मेला है ये
फिर तुझको है जाना रे।
भाई बंधु मात पिता
प्रिय मित्र न जाना रे।
बीवी बच्चे साथ में ना जाएँ
ना जाए सकल जमाना रे।
ना कोई चाचा ना कोई ताऊ
संग ना जाए मामा रे।
दो दिन का है संग यह इनका
फिर आँख बंद हो जाना रे।
डूब ले भक्ति रस में धर्मवीर
बन जा गुरु दीवाना रे
चार दिनों का मेला है ये
फिर तुझको है जाना रे।
क्या माँगे तू धन दौलत
क्या माँगे मोटर कारा रे
सब कुछ छोड़ जगत से जाना
यह देश तो है वीराना रे।
क्या माँगे सांसारिक सुख
क्या माँगे महल अटारी रे
तू है मेरा प्रीतम प्यारा
बस प्रीत ही मेरा सहारा रे।
डूब ले भक्ति रस में धर्मवीर
बन जा गुरु दीवाना रे
चार दिनों का मेला है ये
फिर तुझको है जाना रे।
साथ छोड़ेंगे हाथ पाँव
और पूरा अंग शरीरा रे
प्रेम रंग में ऐसा रंग जा
जैसे रंगे कबीरा रे।
हरि भजन में मन को लगा ले
वरना रहे फकीरा रे।
छोड़-छाड़ जंजाल जगत के
गुरु से ध्यान लगाना रे।
डूब ले भक्ति रस में धर्मवीर
बन जा गुरु दीवाना रे
चार दिनों का मेला है ये
फिर तुझको है जाना रे।