मुझे अपना कर लो दाता

तुम मुझे अपना कर लो दाता मेरे
बिन तुम्हारे जगत में ठिकाना नहीं।

मैं हूँ बगिया का फूल
तुम हो महक इसकी
हरी पत्ती और कोमल
कली हो जिसकी
प्रेम की यह महक
सदा दिल में रहे
दिल से प्यारी महक को
हटाना नहीं।

तुम मुझे अपना कर लो दाता मेरे
बिन तुम्हारे जगत में ठिकाना नहीं।

दिल का दरिया मेरा
है विष से भरा
इसको अमृत की बूंदों से
भर दो जरा
भाव के तेरे अमृत में
डूब जाऊँ सदा
फिर इससे निकलने का
बहाना नहीं।

तुम मुझे अपना कर लो दाता मेरे
बिन तुम्हारे जगत में ठिकाना नहीं।

तुम हो चंदा मेरे
मैं हूँ चकोर तेरा
तुम तक पहुंचूँ सदा
ऐसा मन है मेरा
तुमको देखूँ नजर भर
ऐ मालिक मेरे
इन नजरों से मुझको
हटाना नहीं।

तुम मुझे अपना कर लो दाता मेरे
बिन तुम्हारे जगत में ठिकाना नहीं।

तुम हो दीपक मेरे
मैं हूँ बाती तेरी
रात भर में जलूँ
ऐसी ख्वाहिश मेरी
रोशनी श्रद्धा की मन में
जलाओ मेरे
ऐसी रोशनी को मन से
बुझाना नहीं।

तुम मुझे अपना कर लो दाता मेरे
बिन तुम्हारे जगत में ठिकाना नहीं।