ज्ञान की तड़प
दाता मैं तो खड़ा हूँ तेरे द्वार पर
ज्योति जला दो ज्ञान की
बेचैन दिल ये तड़प रहा है
इसको दो आज शांति।
जबसे अमृतवाणी सुनाई
जिज्ञासा की अगन जगाई
इस अग्नि में मैं जल रहा हूँ
ठंडक दो दो ज्ञान की।
दाता मैं तो खड़ा हूँ तेरे द्वार पर
ज्योति जला दो ज्ञान की।
बेचैन दिल ये तड़प रहा है
इसको दो आज शांति।
दुनिया ने मुझको भटकाया
तुमसे अब तक मिल नहीं पाया
आज मिला हूँ बड़े भाग्य से
लकीर मिटा दो दुर्भाग्य की।
दाता मैं तो खड़ा हूँ तेरे द्वार पर
ज्योति जला दो ज्ञान की।
बेचैन दिल ये तड़प रहा है
इसको दो आज शांति।
सूख गई जीवन की डाली
इसका मिला ना कोई माली
लगता है जीवन खाली खाली
बसंत ऋतु लाओ ज्ञान की।
दाता मैं तो खड़ा हूँ तेरे द्वार पर
ज्योति जला दो ज्ञान की।
बेचैन दिल ये तड़प रहा है
इसको दो आज शांति।