कृपा का प्यासा
कृपाकर आप सागर हो
कृपा की बूँद का प्यासा
मुझे अपना बना लेना
यही मेरी है अभिलाषा।
सुना है आपने केवट
और शबरी को तारा था
शरण में आ गया तेरी
वही तेरा दुलारा था।
तुझे पा लूँ मेरे भगवान
यही है एक मेरी आशा
मुझे अपना बना लेना
यही मेरी है अभिलाषा।
प्रभु मीरा और नरसी ने
जो पाया प्यार था तेरा
आज है दिल मेरा भूखा
प्यार है पाने को तेरा।
रखूँ हर क्षण तुझे मैं याद
जब तक है मेरी श्वांसा
मुझे अपना बना लेना
यही है मेरी अभिलाषा।
ध्रुव प्रहलाद कबीरा भी
रंगे थे रंग में तेरे
आज मैं भी तड़पता हूँ
प्यार है पाने को तेरे।
मुझे भी रंग में रंग ले
तू रंग में अपने
‘धर्मवीर’प्रेम का प्यासा
तू रख ले संग में अपने।
कृपाकर आप सागर हो
कृपा की बूँद का प्यासा
मुझे अपना बना लेना
यही मेरी है अभिलाषा।