चेतावनी धर्मवीर सिंह पाप की गगरी औंदी कर लेऔर छोड़ दे पाप कमाईअब भी आँखें खोल ले बन्देवरना फिर पीछे पछताई।तू है बाती राम है ज्योतिऔर साँसों का है तेलधीरे-धीरे यह जल रहाबस चार दिनों का मेल।टूट गया डाली से जोपत्ता ना लग पाएमानव जीवन आज मिलाना फिर तुझे मिल पाए।जीवन है अनमोल तेराइसे पैसे से ना तोलहर चीज यहाँ बिकती हैपर साँसों का नहीं मोल।कर ले प्रभु से प्रेम तूसाँसे तेरी ये गिनती मेंकितनी तो तूने लुटा दी हैंजो बची हुई लगा भक्ति में।