परिवार

प्रेम का धागा रिश्तों के मोती
बन कर माला एक परिवार है
दुख दर्द वह सबका बांटे
हर मोती का किरदार है।

मात-पिता पत्नी और बेटा
अपनी अपनी जिम्मेदारी है
कर्तव्य निभाने की यह रीत
सबकी अपनी अपनी बारी है।
इतिहास उठा कर देखो जरा
रामायण क्या सिखलाती है
कर्तव्य हमारा क्या होता है
यह रामायण बतलाती है।

प्रेम का धागा रिश्तों के मोती
बन कर माला एक परिवार है
दुख दर्द वह सबका बांटे
हर मोती का किरदार है।

पिता की आज्ञा को पाकर
चौदह वर्ष का वनवास लिया
देख विपत्ति पत्नी सीता ने
अयोध्या का सुख त्याग दिया।
देख दशा भाई की लक्ष्मण
राम सिया संग साथ गए
अमर प्रेम है भाई भरत का
राज ठुकरा कर मुनि भए।

प्रेम का धागा रिश्तों के मोती
बन कर माला एक परिवार है
दुख दर्द वह सबका बांटे
हर मोती का किरदार है।

जिन रिश्तों में कर्तव्य नहीं
वह रिश्ते फीके होते हैं
जो भूले हैं कर्तव्यों को
जीवन में कांटे होते हैं।
अंधे होकर रहे भटकते
वह सही रास्ता खोते हैं
कर्तव्य विमुख न होए कभी
वह बुजदिल नहीं वीर होते हैं।

प्रेम का धागा रिश्तों के मोती
बन कर माला एक परिवार है
दुख दर्द में सबका बांटे
हर मोती का किरदार है।

झाड़ू की केवल एक सीक
वह ना करे गंदगी साफ
जब तक अनेकों सीक जो
ना रहे सभी एक साथ
ऐसे ही परिवार के जन
मिलकर जो ना रह पाएंगे
फूट अगर उनमें पड़ जाए
बाहर के लाभ उठाएंगे।

प्रेम का धागा रिश्तों के मोती
बन कर माला एक परिवार है
दुख दर्द वह सबका बांटे
हर मोती का किरदार है।