जगत मुसाफिरखाना
मानव एक मुसाफिर है
और जगत मुसाफिरखाना
कुछ दिन का मेहमान यहाँ है
फिर छोड़ जगत से जाना।
आंखें खोली इस जग में
खूबसूरत नजारा दिखे
मन को भाए सुंदरता
आकर्षण डोरी से खींची
गाड़ी बंगला कोठी जैसी
हर चीज तुझे मिल जाए
मन में भरे घमंड जब ऐसे
जैसे हवा गुब्बारे में भर जाए।
मानव एक मुसाफिर है
और जगत मुसाफिरखाना
कुछ दिन का मेहमान यहाँ है
फिर छोड़ जगत से जाना।
अंतिम सांस जब लगे निकलने
तब गुब्बारा यह फूटेगा
सपना जो देख रहा है
जल्दी ही यह टूटेगा
यह दुनिया एक फिल्म है
इसमें किरदार निभाए जाते हैं
फिल्म खत्म अभिनेत्री अभिनेता
सब अपने घर को जाते हैं।
मानव एक मुसाफिर है
और जगत मुसाफिरखाना
कुछ दिन का मेहमान यहाँ है
फिर छोड़ जगत से जाना।
पक्षी और पशु सब जंतु
जो कर्म यहाँ सब करते हैं
मानव भी व्यवहार पशु सा
कुछ ऐसा ही करते हैं
आत्मज्ञान बिन जग में मानव
पशु समान बन जाता है
जिस मकसद से आया जग में
सब आकर यहाँ भूल जाता है
मानव एक मुसाफिर है
और जगत मुसाफिरखाना
कुछ दिन का मेहमान यहाँ है
फिर छोड़ जगत से जाना।
जिसने यह उपकार किया
यह जीवन तुमको दान दिया
भोजन और अनल वायु का
प्रबंध यहाँ तुझको किया
चाहे जो भी विपत्ति तुझ पर आए
हर सुख दुख में है साथ तेरे
छोड़ आधार इस दुनिया के
असल आधार है घट में तेरे।
मानव एक मुसाफिर है
और जगत मुसाफिरखाना
कुछ दिन का मेहमान यहाँ है
फिर छोड़ जगत से जाना।