मार्गदर्शक

सतगुरु एक हितैषी है, जो मानव का हित चाहता है
भटके हुए राही को, सदैव सदमार्ग दिखाता है।

बंद मिट्टी की कोठरी में
सोए हैं गहरी नींद में
कई बार उदय और अस्त हुआ
सूरज का जिनको पता नहीं
खुल गई जब अज्ञान कोठरी
जब प्रकाश सूरज का आता है।
सतगुरु एक हितैषी है, जो मानव का हित चाहता है
भटके हुए राही को, सदैव सदमार्ग दिखाता है।

ईर्ष्या द्वेष और हीन भाव
भरे हैं यह सब जीव में
मेल है इनका इतना काला
दिखे चमक नहीं जीवन में
ज्ञान का जब पानी पड़ता
दोष सब भूल जाता है।
सतगुरु एक हितैषी है, जो मानव का हित चाहता है
भटके हुए राही को, सदैव सदमार्ग दिखाता है।

ज्ञान से कटे अंधियारा है
ज्ञान से भाईचारा है
ज्ञान जीवन का स्रोत है
जिससे जीवन उजियारा है
गुरु जीवन का सारथी है
उन्नति का मार्ग दिखाता है।
सतगुरु एक हितैषी है, जो मानव का हित चाहता है
भटके हुए राही को, सदैव सदमार्ग दिखाता है।

समर्पण कर दें इस जीवन को
सतगुरु को कोई जो सेवक
प्रेम पुष्प के फूलों से
अभिनंदन करें चरणों में रख
ऐसा सेवक जीवन में
भव से पार हो जाता है।
सतगुरु एक हितैषी है, जो मानव का हित चाहता है
भटके हुए राही को, सदैव सदमार्ग दिखाता है।