भारत की नारी
कर्तव्य सदा समझे अपना, यह भारत की नारी है
कर्तव्य के रूप निभाए सभी, इसकी यही कहानी है।
नन्ही सी परी जब घर जन्मे
घर में खुशियां भर देती है
किलकारी ऐसी मारे प्यारी
चिंता कुछ क्षण की हर लेती है।
हो जाए बड़ी यह नन्ही परी
निस्वार्थ यह सेवा करती है।
काम करे ना कोई ऐसा
माँ-बाप की इज्जत रखती है।
कर्तव्य सदा समझे अपना, यह भारत की नारी है
कर्तव्य के रूप निभाए सभी, इसकी यही कहानी है।
जब विदा हुई बिटिया घर से
पर दिल से विदा ना होती है
जब जाए पराए घर बिटिया
वह घर अपना हो जाता है
मात-पिता से सास ससुर
हर रिश्ते का प्यार मिल जाता है
पत्नी के रूप में अर्धांगिनी
हर दुख सुख में साथ निभाती है।
कर्तव्य सदा समझे अपना, यह भारत की नारी है
कर्तव्य के रूप निभाए सभी, इसकी यही कहानी है।
जब माँ का रूप ले लेती है
ममता की वर्षा करती है
पुत्र अचानक रोने लगे
नींद से झट उठ जाती है।
सूखे में सुलाती बेटे को
खुद गीले में सो जाती है
जब आई मुसीबत बेटे पर
मजबूत चट्टान बन जाती है।
कर्तव्य सदा समझे अपना, यह भारत की नारी है
कर्तव्य के रूप निभाए सभी, इसकी यही कहानी है।
होए अगर शोषण नारी पर
दुर्गा काली बन जाती है
मजबूत इरादा रखकर वह
सफल मार्ग पर जाती है
खट्टे कर दे वह दांत दुश्मन के
ऐसी शेरनी भारत की है।
कर्तव्य सदा समझे अपना, यह भारत की नारी है
कर्तव्य के रूप निभाए सभी, इसकी यही कहानी है।