धर्म सुमन शर्मा उस महासागर की वेला में,अर्जुन को था संताप हुआ।स्वजनों को जब देखा समक्षकर्तव्य मार्ग से विमुख हुआ।श्री नारायण ने तब नर कोधर्म मार्ग था समझाया।हम भी तो आजअर्जुन की तरहनाना प्रश्नों से जूझते हैंकिंतु वो सखा तो संग नहींसद्मार्ग हमें जो दिखलाए।जिज्ञासाओं को शांत करेसब उलझनों को सुलझाए॥