धर्म

उस महासागर की वेला में,
अर्जुन को था संताप हुआ।

स्वजनों को जब देखा समक्ष
कर्तव्य मार्ग से विमुख हुआ।

श्री नारायण ने तब नर को
धर्म मार्ग था समझाया।

हम भी तो आज
अर्जुन की तरह
नाना प्रश्नों से जूझते हैं

किंतु वो सखा तो संग नहीं
सद्मार्ग हमें जो दिखलाए।
जिज्ञासाओं को शांत करे
सब उलझनों को सुलझाए॥