अहसास

हर बार हाथ थामा
जब भी थे हम डगमगाए

इक पल को यूं लगा था
गिर जाएंगे ज़मीं पर
तुम सामने खड़े थे
तुम्हें देख मुस्कुराए।

तूफ़ान में घिरे थे
साहिल का ना पता था
तुमने संभाली कश्ती
और ले किनारे आए।