संकल्प

बेशक मेरी हार हुई है
मंज़िल की इन राहों में
फिर भी मैं जीतूंगी एक दिन
है विश्वास निगाहों में,
हर असफलता मुझे सफलता से दूर
किन्तु मंज़िल के एक कदम क़रीब लाती है।
आज हारी हूँ लेकिन कल जीतूंगी
ये विश्वास भरा साहस मन को दे जाती है ।

आज नहीं हूँ सक्षम कि मैं
जीत का जश्न मनाऊँ
किन्तु नहीं कमजोर भी इतनी
कि इस हार पर आंसू बहाऊँ।
सफलता मिलेगी यक़ीनन मुझे क्योकि
इसका कोई विकल्प नहीं है।
ये विश्वास मेरा है,
ये ख्वाब मेरा है
सच करूंगी,
अब संकल्प यही है।