बारिश
बारिश का ये मौसम साजन
तेरी याद दिलाता है
प्यार से तेरे भीगा तन–मन,
तुझको पास बुलाता है।
बारिश की इन बूँदों में
तस्वीर तेरी अब दिखती है
महसूस होता है स्पर्श तेरा
जब बूँदें तन पर गिरती है
नाच उठा है मन का मयूर
दिल गीत मिलन के गाता है
प्यार से तेरे भीगा तन–मन,
तुझको पास बुलाता है।
बागों में कलियाँ झूम उठी
मदमस्त पवन भी गाने लगी
शाखों पे पत्ते हरे-हरे
खुशियों से मेरे नैन भरे
लगता है ये सावन मुझसे
तेरी प्रीत निभाता है
प्यार से तेरे भीगा तन–मन,
तुझको पास बुलाता है।
आस में तेरी मेरे साजन
बनकर बैठी हूँ मैं दुल्हन
हर ख़्वाहिश अब भीग रही है
भीग रहा नैनों का काजल
झूम -झूमकर ये सावन
धरती की प्यास बुझाता है
प्यार से तेरे भीगा तन–मन,
तुझको पास बुलाता है।