न जाने क्या हो गया

हम बुलाते रहे और आये न वो
अब मेरे इश्क़ को जाने क्या हो गया ।

दिल के अरमान सारे फ़ना हो गए
ये मेरे दिल को न जाने क्या हो गया ।

इश्क़ का जो मकाँ, ढेर था रेत का
ताकते हम रहे ढेर वो हो गया ।

मुझको मंजिल का अपनी पता भी न था
तो तेरा रास्ता ही मेरा हो गया ।

दिल के अरमान सारे फ़ना हो गए
ये मेरे दिल को न जाने क्या हो गया ।

न रहा रास्ता न ही मंजिल मिली
तन्हाइयों से मेरा वास्ता हो गया ।

स्वप्न की सुंदरी जब हक़ीक़त हुई
नींद का आँख से बैर सा हो गया ।

दिल के अरमान सारे फ़ना हो गए
ये मेरे दिल को न जाने क्या हो गया ।

अब ग़ज़ल भी है वो और है गीत भी
उसका हर लफ्ज़ संगीत सा हो गया ।

बस गया मेरी साँसों में कुछ इस तरह
मेरे मन का वो मनमीत सा हो गया ।

दिल के अरमान सारे फ़ना हो गए
ये मेरे दिल को न जाने क्या हो गया ।

हम निभाते रहे जिसको एक रीत सा
वो मेरी हार में जीत सा हो गया ।

प्रेम में उसके हम खो गए इस क़दर
उसका जाना भी एक प्रीत सा हो गया ।

दिल के अरमान सारे फ़ना हो गए
ये मेरे दिल को न जाने क्या हो गया ।

ओ “सचिन” अब तो तुम ही सच न रहे
उसके जाने से सब झूठ सा हो गया ।

दिल के अरमान सारे फ़ना हो गए
ये मेरे दिल को न जाने क्या हो गया ।