छुपा लिए हैं दिल के राज़ सभी

पलकों की चिलमन तले
छुपा लिए हैं दिल के राज़ सभी
ग़म हो या ख़ुशी के पल हों मिले
अब ज़ाहिर होते हैं नहीं कभी
पलकों की चिलमन तले
छुपा लिए हैं दिल के राज़ सभी।

किसे बताऊँ,किसे सुनाऊँ
ज़ख्म ये दिल के किसे दिखाऊँ
कौन है अपना,कौन पराया
बात न अब ये समझ मैं पाऊँ
एक हाथ में खंज़र लेकर
मिसरी बातों में घोलें सभी
पलकों की चिलमन तले
छुपा लिए हैं दिल के राज़ सभी।

मतलब से भरी इस दुनिया में
सबने अपना मतलब साधा
है प्रेम सभी का एक छलावा
सबका रूप है आधा-आधा
नहीं यहाँ अब कृष्ण कोई है
नहीं किसी की अब मैं राधा
हक़ीक़त की इन तस्वीरों से
वहम टूटे हैं सारे अभी-अभी
पलकों की चिलमन तले
छुपा लिए हैं दिल के राज़ सभी।

दिल में दब गई आह मेरी
आँसू पलकों में बंद पड़े
तकलीफों का दामन थामे
हर हाल में हम मुस्काते खड़े
अपनी ऐसी संगत पर
न आया रोना मुझे कभी
पलकों की चिलमन तले
छुपा लिए हैं दिल के राज़ सभी।