जब नही होंगे माता-पिता
जब नही होंगे माता-पिता,
तो छाँटोगे उनकी सबसे अच्छी तस्वीर,
मंहगा-सा फ्रेम करवाओगे,
लगाओगे ड्राइंगरूम मे बीचों-बीच ,
सुन्दर सी माला चढ़ाकर,
अक्सर करोगे बातें,
हँसोगे, रोओगे,
निहारोगे उस तस्वीर को ….
जब नहीं होंगे माता-पिता,
उनकी सबसे धुधंली तस्वीर को भी
रखोगे बचा के,
देखकर चूम लिया करोगे
वो तसवीर,
कभी लगा लोगे सीने से देखोगे बार-बार
उनका कोई वीडियो,
जिसे यूँ ही मजाक में बनाया होगा,
या कभी उनको चिढ़ाने को….
जब नहीं होंगे माता-पिता
ढूंढोगे उनकी लिखावट से सजा कागज़,
मिल जायेगा फटा-नुचा तो,
इस्त्री करके रखोगे करीने से,
उनके कपड़ो को नेफ्थलीन की डालकर गोलियां
पुराने बक्से में संभालकर रखोगे,
जब-तब खोलकर बक्सा ढूंढोगे
उनकी खूश्बू …
नेफ्थलीन की महक से सराबोर कपडों में….
जब नहीं होंगे माता-पिता,
तो हँसकर बताओगे अपने बच्चों को
कैसे पिटाई करते थे पिता तुम्हारी बदमाशी पर,
माँ के हाथ के बने खाने का स्वाद
हर जगह खोजोगे,
माँ का दो पल वाला गुस्सा अक्सर आयेगा याद,
जब जिंदगी पल-पल देगी झिड़कियाँ,
पिता की तेज आवाज कानों में गूंजेगी,
जब जिंदगी दिखायेगी आँखें….
जब नहीं होंगे माता-पिता,
श्राद्ध करोगे, तर्पण करोगे,
गय्या-कुत्ते-कौए को खिलाओगे व्यंजन,
जो पहुँच जाये तुम्हारे माता पिता तक,
हर जगह उन्हीं को करना चाहोगे महसूस,
चाहोगे लेना उनसे सलाह, बातें करना चाहोगे,
बस देख लेना चाहोगे उन्हें एक बार फिर से
उनके बच्चे बन जाना चाहोगे
जब माता-पिता नहीं होंगे…..
पर अभी है माता-पिता
अभी है मौका उनका बच्चा बन जाने का,
उनकी तस्वीर का हिस्सा बन जाने का,
उनकी कहानी का किस्सा बन जाने का,
अभी है मौका …
क्योंकि अभी है माता-पिता।