ऐ बारिश जरा इधर भी बरस

ऐ बारिश जरा इधर भी बरस
दिल के कुररा ए जमीन पर
गमों का तूफान
ख्वाबों और अरमानों पे
अपना कहर ढाये हुए है
अपने अब्र का साया
इन पर इनायत फरमा
ऐ बारिश जरा इधर भी बरस।
ऐ बिजली की चमक
दिल की तारीकियों में
उजाला कर दे
मेरे दिल की सर जमीन
तेरी बूंदों से शराबोर हो जाए
मेरे दामने सहरा पे
कुछ ख्वाहिशात के सब्ज़ उगा
दिल के गुबार को धो दे
ऐ बारिश जरा इधर भी बरस।
तेरी बौछार से दिल व दिमाग में
ताज़गी आए
हरियाली की चादर ओढ़ा के
मेरे दामने खसो-खशाक को
गुलिस्ताँ बना
ऐ बारिश जरा इधर भी बरस।