बात पुरानी
मैं उसका था वो मेरी थी, ये तो बात पुरानी है
मैं शब था वो सुबह थी, ये तो बात पुरानी है ।
किसी किताब में रखा था, उसने फूल कोई
उसे देखकर ये लगता है, ये तो बात पुरानी है ।
राहें जिन पर हम मिलते थे, अब भी आनी जानी है
पिछली बार मिले कब हम थे, ये तो बात पुरानी है ।
जिन आँखों ने निश दिन देखे, खुली आँख से सपने तेरे
पिछली बार दिखी कब थी तुम, ये तो बात पुरानी है ।
आने वाली है तारीखें, जिनको याद नहीं करता हूँ
कब आयीं थी ये तारीखें, ये तो बात पुरानी है ।
पतझड़ आया फिर पेड़ों पर, अब हरियाली आएगी
इस डाली पर कब आयी थी, ये तो बात पुरानी है ।
हर पतझड़ के बाद “सचिन”, बेबस बसंत के आने की
नयी कहानी नहीं है लगती, ये तो बात पुरानी है ।