तेरे दरबार आया हूँ

खेलन को होली आज तेरे द्वार आया हूँ।
खाकर के गोला भांग का मैं यार आया हूँ।।

मानो बुरा न यार है त्यौहार होली का।
खुशियाँ मनाने अपने मैं परिवार आया हूँ।।

छुप कर कहाँ है बैठा जरा सामने तो आ।
पहले भी रंगने तुझको मैं हर बार आया हूँ।।

महफिल सजी है फाग की मदहोश हैं सभी।
शोभन में पाने प्यार मैं सरकार आया हूँ।।

होली ‘निज़ाम’ खेल के मस्ती में मस्त है।
कुछ तो करो कृपा तेरे दरबार आया हूँ।।