अब मैं लौट आया हूँ अमर नाथ सिंह ‘मोही’ मोहब्बत के बगीचे से,मैं अनगिन पुष्प लाया हूँ ।कि बदले में मोहब्बत से,भरा दिल तौल आया हूँ ।।हृदय के इस बगीचे में,गमों के गुल सँजो कर के,गुनाहों की गली से मीत !अब मैं लौट आया हूँ ।।