अब मैं लौट आया हूँ

मोहब्बत के बगीचे से,
मैं अनगिन पुष्प लाया हूँ ।
कि बदले में मोहब्बत से,
भरा दिल तौल आया हूँ ।।

हृदय के इस बगीचे में,
गमों के गुल सँजो कर के,
गुनाहों की गली से मीत !
अब मैं लौट आया हूँ ।।