अगर इस मुल्क़ के सब रहनुमा सच्चे नहीं होंगे सुखवीर चौधरी 'शिखर' अगर इस मुल्क़ के सब रहनुमा सच्चे नहीं होंगे,तो फिर अच्छे दिनों के वायदे पूरे नहीं होंगे।युवाओं को अगर तुम पाठ नफ़रत का पढ़ाओगे,कभी इस देश के हालात फिर अच्छे नहीं होंगे।करोगे तुम अगर परहेज़ बेटी को पढ़ाने से,मेरा दावा है उन के हाथ फिर पीले नहीं होंगे।ये भूरी आँख, गोरे गाल उस पर रेशमी जुल्फ़ें,तुम्हारे रूप के क्या चाहने वाले नहीं होंगे।अगर सरकार की मंशा ग़रीबी को मिटाना हो,तो फिर फुटपाथ के बच्चे कभी भूखे नहीं होंगे।अगर हम जातियों के नाम पर इनको जिताएंगे,तो इन नेताओं के तेवर कभी ढीले नहीं होंगे।