ये अब कैसी सियासत हो रही है

ये अब कैसी सियासत हो रही है,
कि गुण्डों पे इनायत हो रही है।

लगे आरोप जिस पे रेप के हैं,
उसी की क्यों हिफ़ाजत हो रही है।

जिन्हें लाने पे मेडल दी बधाई,
उन्हीं से अब शिक़ायत हो रही है।

जिन्हें जेलों में होना चाहिए था,
उन्हीं की अब हुक़ूमत हो रही है।

तुम्हारे फ़ैसलों से हुक्मरानों,
बहुत जनता ये आहत हो रही है।

ग़रीबों से वसूली कर ‘शिखर’ बस,
अमीरों को ही राहत हो रही है।