मुक्तक-होली स्पेशल

बेवज़ह हम किसी को नहीं छेड़ते।
बदज़ुबानी किसी की नहीं झेलते।।

रंग में प्यार के जब से तुम ने रँगा।
हम किसी से भी होली नहीं खेलते।।

गीत अब प्यार का गुनगुना लीजिए।
प्यार की दिल में गंगा बहा लीजिए।।

रंग ऐसा लगाओ मोहब्बत का तुम।
जो भी रूठे हैं उन को मना लीजिए।।