आप ने ही ज़िन्दगी का सार समझाया गुरु जी

आप ने ही ज़िन्दगी का सार समझाया गुरु जी।
आप ने ये ज़िन्दगी होने न दी ज़ाया गुरु जी।।

शायरी का ये हुनर ऐसे तो मैं न सीख पाता।
ज्ञान की बारिश में गुरुवर मैं कभी क्या भीग पाता।।

आप के चरणों में अर्पित ज़िन्दगी की हर ख़ुशी है।
आप के चरणों में ही बस मेरी ये गर्दन झुकी है।।

आप ने ही मुझ अकिंचन को है चमकाया गुरु जी।
आप ने ये ज़िन्दगी होने न दी ज़ाया गुरु जी।।

मेरे ऊपर आप के गुरुवर बहुत एहसान हैं जी।
आप तो मेरे लिए माँ शारदे का ज्ञान हैं जी।।

आप के आगे ज़माने को झुकाना चाहता हूँ।
मंच से ये गीत मैं सब को सुनाना चाहता हूँ।।

आप का हरदम रहे सर पर मेरे साया गुरु जी।
आप ने ये ज़िन्दगी होने न दी ज़ाया गुरु जी।।