हुस्न के जलवे दिखाती चाँदनी

हुस्न के जलवे दिखाती चाँदनी,
आग पानी मे लगाती चाँदनी।

तीरगी को रौशनी से चीर कर,
हर जगह पर झिलमिलाती चाँदनी।

यादों के मीठे तराने छेड़ कर,
रात में हम को रुलाती चाँदनी।

चाँद तारों से यहाँ पर रात को,
माँग अम्बर की सजाती चाँदनी।

चाँद से रिश्ता हमारा जोड़ कर,
याद बचपन की दिलाती चाँदनी।

दर्द में हम को तड़पता देख कर,
क़हक़हे उस पर लगाती चाँदनी।