प्रेम की क्रांति
एक दिन होगी क्रांति
कलम, गली-कूचों में अपने हक़
की लड़ाई लड़ेगी !!
होंगे वहाँ ऐसे पुरुष
जो प्रेम में मर कर अमरगाथा लिख जायेंगे
पुरुष में स्त्रीत्व
पुरुष में ममत्व
पुरुष में करुणा
पुरूष के स्त्री हृदय के रहस्य
वो अपनी प्रेमिका को समर्पित कर जायेंगे
होंगी वहां वो स्त्रियां जिनकी
आँखों के नीचे काले घेरे नहीं
उनकी ख़ाक हो चुकी प्रेम कहानियों की राख़ ज़मा होगी
वो पुरुष के माथे पर बोसे धर-धर
प्रेम सिखाती रहेंगी
वो पुरुष को बाहों में भर-भर
गिले शिकवे मिटाती रहेंगी
पर कैसे समझायेंगे वो इस दुनिया को ?
कब तक समझायेंगे वो रूढ़ियों को धर्मान्धों को ?
प्रेम को पुनर्परिभाषित करना होगा
कलम लिखेगी प्रेम के नये आयाम
आने वाली नस्लें होंठों पर गुनगुनायेंगी
प्रेम की क्रांति के बीते अंजाम !!