खुद से प्रेम करना

खुद से प्रेम करने वालों को
वह सब
ख़ुद से नफ़रत करना आसानी से सिखा देते हैं।
मानो, ख़ुद से प्रेम करना
ख़ुद से नफ़रत करने की पहली सीढ़ी चढ़ना है।

वह लोग कभी सही नहीं समझे जायेंगे
जिन्होंने प्रत्यक्ष दिखते गलत को भी
महज़ इसलिए अनदेखा किया हो
कि गलत करने वाला उसके हृदय में बसता है
उनका दंड है कि
दुनिया उन्हें गलत साबित करती रहे।

प्रेम में डूबी स्त्री का चेहरा
बुद्ध सा नहीं दिखता
बुधिया सा दिखता है
सम्पूर्ण पोषण मिलने पर भी
चेहरे की विरानियत
उसे पाषाण कालीन स्त्री सा बना देती है।

वह मर रहे हैं
इसलिए नहीं क्योंकि
मरना उनकी नियति है
बल्कि इसलिए क्योंकि
उनको मरने से कोई रोकने वाला ही नहीं
बात बेबात उनसे कह दिया जाता है
“जाओ मर जाओ”
वे इतने खुदगर्ज लोग
वे चले भी जाते हैं।

अभिशप्त जीवन
इतनी आसानी से हासिल नहीं होता
दिन रात ख़ुद को,
दूसरे को समर्पित करने वाले
एक दिन पाते हैं
कि उनके समर्पण ने
उनका सम्पूर्ण जीवन अभिशप्त कर दिया है
जिंदा शरीर और मृत आत्मा लिए
बस वे जिए जा रहे हैं।