दीदार हो गया राजेंद्र शर्मा रुख़ से नक़ाब जब उठा, दीदार हो गयावल्लाह लफ्ज़ हर मेरा, अशआर हो गया।दीवानगी में आपकी, गाफिल हैं इस कदरहर दोस्त ताने दे रहा, कहां यार खो गया।सेहत हमारी ठीक थी, रहते थे मौज में।कि नज़रे करम है आपका, बीमार हो गया।गुस्ताखियों से दूर था, ये दिल सनम मेरादिलकश अदा से आपकी, खतावार हो गया।शामिल हो रुह में मेरी, इक ‘राज’ की तरहखुद से ही हमको बेसबब, अब प्यार हो गया।