स्पंदन

ब्रह्मांड बना है दो तत्वों से,
मैटर और एनर्जी।
बाकी सारे बहुरुप हैं,
सत्य‌ कहो या फर्जी।

जड़ कहलाए मैटर सारा,
एनर्जी है चेतना।
एनर्जी के स्पंदन से ही,
मैटर में संवेदना।

तात्पर्य कि संवेदना से ही,
सबकुछ है गतिमान।
वैज्ञानिक ऋषियों से प्रदत्त है,
यही सनातन ज्ञान।

देश काल परिस्थिति हेतु,
जो धारण करने योग्य है।
धर्म उसी का नाम है बंधु ,
ऋषियों का सिद्ध प्रयोग है।

अतः सिद्ध हुआ कि जिसमें,
परिपूरीत पूर्ण संवेदन है।
उत्तम धर्म सनातन शास्वत,
‘राज’का यही निवेदन है।