साधुत्व राजेंद्र शर्मा कोई साधु हो गया, और कोई साध्वी।मधुकर कहलाए कोई, कोई कहावे माधवी।।सच कहूं तो मित्रों यह, लब्धि नहीं बस व्याधि है।सच में मानव बन जाएं, यह सबसे बड़ी उपाधि है।।कोई राज ऋषि महा ऋषि कोई संत महात्मा कहलाए।निज जीवन का उत्कर्ष करे और परमतत्व को पा जाए।।ध्यान किंतु यह भी रहे, परमात्म मिले परमार्थ से।क्षणभंगुर काया न मोह रहे, कृष्ण कहे ये पार्थ से।।