सजी हुई महफिलों में मंजर हैं तेरा सादगी का कसते है ताने लोग तुझपे करते हैं बातें लोग तुझपे फिर भी बेफिक्र हैं तू क्योंकि हृदय है तेरा सादगी का।
ना कर फिक्र ना सुन अपना कहीं जिक्र टूटे हुए ख्वाब है तो क्या ! छूटे हुए मंजिल के रास्ते हैं तो क्या ! तू चुन अपना ही रास्ता बस रख खुद से वास्ता लोग क्या जाने मतलब सादगी का सदा मकाम ऊँचा हैं सादगी का।